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कर्मवाच्य (Passive Voice): भाषा की प्रभावशीलता का महत्वपूर्ण अंग

 कर्मवाच्य (Passive Voice): भाषा की प्रभावशीलता का महत्वपूर्ण अंग

कर्मवाच्य एक वाच्य प्रकार है जिसमें क्रिया का कर्ता क्रियापद के साथ प्रकट नहीं होता है, बल्कि क्रिया का कारक क्रियापद के साथ प्रकट होता है। इस वाच्य में क्रिया का प्रमुख कारक या उसका प्रयोग किया जाता है।

कर्मवाच्य की विशेषताएँ:

  1. कारक क्रियापद का प्रयोग: कर्मवाच्य में क्रिया का प्रयोग क्रियापद के साथ कारक के साथ होता है। उदाहरण के लिए, "किताब राम द्वारा पढ़ी गई।" यहाँ "किताब" कारक है और "पढ़ी गई" क्रियापद है।

  2. व्यावसायिकता और संवादित परिणाम: कर्मवाच्य वाक्यों में क्रिया करने वाले का प्रमुख कारक क्रियापद के प्रयोग से व्यावसायिकता और संवादित परिणाम मिलता है।

  3. वाक्य संरचना: कर्मवाच्य वाक्यों में कारक क्रियापद का प्रयोग किया जाता है, जिससे व्याकरणिक संरचना मजबूत होती है।

कर्मवाच्य का महत्व:

  1. स्पष्टता: कर्मवाच्य वाक्य स्पष्टता और संवादित परिणाम को संवादित करते हैं।

  2. क्रिया करने वाले का प्रमुखता: इसमें क्रिया करने वाले का प्रमुखता दिया जाता है, जिससे व्याकरणिक संरचना मजबूत होती है।

  3. संवाद की प्रभावशीलता: यह वाच्य संवाद को प्रभावशील बनाते हैं और बातचीत को अधिक सक्रिय बनाते हैं।

समापन:

कर्मवाच्य वाक्य भाषा में स्पष्टता, प्रभावशीलता और संवाद को संवादित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन वाक्यों में क्रिया करने वाले का प्रमुखता दिया जाता है, जिससे संवाद की स्पष्टता और प्रभावशीलता में सुधार होता है।

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